सुबह उठते ही सबसे पहले God भगवान अल्ला वाहे-गुरू का नाम लें,अपने हाथों की हथेलियों को देखे,तत्पश्चात अपने दैनिक कार्य करें।आप देखोगे कि आपके जीवन में कितना परिवर्तन आया है।प्रभु एक ही है फिर चाहे वो ईश्वर हो अल्लाह हो गॉड हो या वाहे गुरु जिस धर्म में आपकी रूचि या मान्यता है आप उसी अनुसार प्रभु का सिमरन करें किसी को दिखाने या जताने के लिए धर्म का अनुसरण न करें ये आपकी श्रद्धा पर है ।
अपना हर कार्य की शुरुआत प्रभु को याद किये बिना न करें प्रभु को याद करने से आपके मन शांत रहेगा और आप जिस कार्य को कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं उसमे आप मन लगेगा और आप उस कार्य को पूरी शिद्दत के साथ निभा पाएंगे ।
सात्विक जीवन का अर्थ
प्रभु को याद करने से आपके आस पास और घर का माहौल सात्विक और ऊर्जावान रहेगा कभी भी आपके अंदर नकारात्मक सोच उत्पन नहीं हो सकेगी ।
प्रभु का अनुसरण
आत्मा और सच्चाई में भगवान की पूजा करने का क्या मतलब है?सच्चाई से ईश्वर की पूजा करने का अर्थ है कि हम ईश्वर का पालन करते हैं परमेश्वर हमारे बाहरी स्वरूप को नहीं देखता है।वह देखता है कि हम कौन हैं। वह हमारी प्रेरणा को देखता है।वह हमारे दिल को देखता है।
आप धार्मिक किताबें पढ़ सकते हैं अलग अलग धर्म ग्रंथों का पढ़कर विश्लेषण कर सकते हैं जिनको पढ़ कर आपमें धर्म के अनुरूप रूचि पैदा होगी और आप और लोगो को भी इससे प्रेरित कर सकते हो जो लोग बुरे काम करते हैं उनमे भी आप परिवर्तन ला सकते हो ।
हममें से कोई नहीं जानता कि अगले पल क्या हो सकता है फिर भी हम आगे बढ़ते जाते हैं क्योंकि हमें अपने परमात्मा पर भरोसा और विश्वास है।
भगवान में अपने भरोसे को बनाये रखने के लिए आपको काम करना होगा जिससे वह आपके जीवन को मार्ग दिखा सकें और आपको प्रोत्साहित और पुरस्कृत कर सके भगवान को अपने जीवन को मार्ग दिखाने के लिए आपको उसे समय देना होगा उसकी भक्ति में लीन होना होगा।
भगवान पर भरोसे को बनाने के लिए एकमात्र उपाय यह है कि आप उसके नाम में ध्यान लगाएं उनसे संबंधित ज्ञान की किताबे पढें जिससे आपका भगवान पर विश्वास कायम हो सकेगा और आप प्रभु का अनुसरण करना शुरू कर दोगे ।
अपने सारे दुखों और चिंताओं को प्रभु पर छोड़ दो आपके विचार आज के युग में इस हद तक सीमित और खत्म से हो गए हैं कि आप अपने कार्यो की व्यस्तता के बीच भगवान को भूल गए हैं ।
हमें अपनी आत्मा और सच्चे मन से प्रभु की आराधना या अनुसरण करना चाहिए। हमे यह विश्वास हो सकता है कि अगर हम प्रभु भक्ति में अपने को लगाएंगे तो हम निश्चिंत हो जायेंगे और परमात्मा हमें सब कुछ प्रदान करेगा और वह हमारे साथ है,हर धर्म और सम्प्रदाय में प्रभु भक्ति का अपना ही रस और एक अलग तरीका है ।
जब तक आप खुद को भगवान के चरणों में लीन नहीं करेंगे तब तक आपकी चिंताएं दूर नहीं हो सकती ।
हम उसकी उपासना करते हैं क्योंकि वह हमसे प्यार करता है और हमारे ऊपर दया करता है,हमारे दुखो को दूर करता है।मेरा यह मानना है की अपने दैनिक जीवन में से कुछ समय प्रभु भक्ति में लगाएं फिर देखना कि आपका जीवन खुशियों से भर जायेगा ।
प्रभु का अनुसरण करने का अर्थ यह नहीं है कि आप अन्य काम छोड़कर सारा दिन प्रभु भक्ति में व्यतीत कर दें आपको आजीविका चलाने के लिए भी मेहनत करनी होगी हमारे यहाँ कहावत है की जो इंसान मेहनत करता है भगवन भी उन्ही का साथ देते हैं प्रभु की आराधना करने का अर्थ है उसे अपने पूरे दिल,दिमाग और बिना किसी स्वार्थ के प्यार करना ।
परमेश्वर की आराधना कैसे की जा सकती है ये सवाल आपके मन में भी होगा,अधिकांश लोग कहते हैं कि हम रोज़ पूजा पाठ करते हैं और यही हमारी आराधना है परन्तु मेरा मानना यह है कि पूजा पाठ के साथ साथ हमे सत्य का मार्ग भी अपनाना पड़ेगा।
अधिकांश लोग अपने कार्य की पूर्ति करने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं और प्रभु के आगे उसकी आराधना करने का ढोंग करते हैं,वह अन्तर्यामी है जितना आप सोच रहे होते हैं वह आपसे कई गुना अधिक सोचता है क्योंकि उसको आपकी फ़िक्र है वह इस सृष्टि का निर्माता है उसने सब पहले से ही तय कर रखा है जो हमारी कल्पना से परे है।
प्रभु का अनुसरण करना हम अपने पूर्वजो से सीखते हैं धार्मिक परंपराएं हमे विरासत में मिले हुए हैं क्या करें और क्या न करें ये सब विचार हमारे माता पिता और पूर्वजों से मिलते हैं प्रभु हमे नहीं जनता वह केवल हमारी भक्ति,सत्य के मार्ग और प्रेरणा को पहचानता है।
निष्कर्ष
इस लेख से यह निष्कर्ष निकलता है कि कठोर परिश्रम व् सत्य मार्ग और सयंम को अपनाकर हम प्रभु का अनुसरण कर सकते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt Please let me know